Saturday, October 30, 2010

सच्चा त्याग

जिस त्याग से अभिमान उत्पन्न होता है वह त्याग नहीं है

त्याग से शान्ति मिलनी चाहिए

आखिरश : अभिमान का त्याग ही सच्चा त्याग है


-विनोबा भावे

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की यात्रा से लौटे अग्रबंधुओं के 32 सदस्यीय दल के आनंदपूर्ण प्रवास की सचित्र झांकी

प्रस्तुति : राजकुमार भक्कड़












Thursday, October 28, 2010

समाजसेवा की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ बुजुर्गों की ही नहीं है, युवाओं को भी अपना दायित्व निभाना होगा - राजकुमार भक्कड़

22 दिवसीय विदेशयात्रा से लौटे अग्रबंधुओं के 32 सदस्यीय दल के

सम्मान में अहमदाबाद में आयोजित स्नेह मिलन समारोह में बोलते

हुए अग्रबंधु युवा मंच के संयोजक और सक्रिय समाजसेवी राजकुमार

भक्कड़ ने अपने संक्षिप्त भाषण से वहां उपस्थित लोगों पर बहुत गहरा

प्रभाव छोड़ा । आइये आप भी पढ़िए.............










आज के इस समारोह में अपनी गरिमामयी उपस्थिति से नवाजने वाले

आदरणीय मुख्य अतिथि श्री बाबूलाल जी रूंगटा

अतिथि विशेष सम्माननीय श्री श्यामसुंदर जी अग्रवाल

परमश्रद्धेय आदरणीय नंदू भैया जी

अग्रबंधु एसोसिएशन के प्रधान श्री जयकिशन जी गुप्ता

उप प्रधान श्री एच पी गुप्ता

महामंत्री श्री बाबूलाल जी अग्रवाल

आज के इस समारोह के सौजन्यदाता श्री माधवशरण जी अग्रवाल

उपस्थित आदरणीय बुजुर्गो, देवियों और सज्जनों तथा मेरे साथी युवा अग्रबंधु स्वजनों !


मैं राजकुमार भक्कड़ आप सभी का हृदयपूर्वक स्वागत-अभिनन्दन करता हूँ

और नवगठित श्री अग्र बन्धु एसोसिएशन "युवा मंच" के सन्दर्भ में दो शब्द कहना चाहता हूँ .


गत दिनों अग्रसेन सेवा संस्थान ने जो शुभेच्छा कार्यक्रम रखा था उसमे मेरे कुछ युवा

साथियों ने तत्काल एक निर्णय लिया कि यात्रा से वापसी के समय एयर पोर्ट पर सभी बुजुर्ग

आगंतुकों का अभिनन्दन किया जाये तथा चाय जलपान करा कर सभी का सम्मान किया

यह योजना बहुत उत्साहवर्धक रही, हमारे बुजुर्गों को बहुत पसन्द आई उनके द्वारा मिले हुए

प्यार और आशीर्वाद से हमें प्रेरणा मिली की क्यों हम एक स्नेह-मिलन का कार्यक्रम रखें जिसमे सभी

के यात्राओं के अनुभव का लाभ समाज के अन्य लोगों को भी मिल सके



परन्तु उस समय सवाल खड़ा हुआ कि ये आयोजन करें किसकी ओर से...........तब हमें महसूस

हुआ कि अग्रबंधु एसोसिएशन का एक नवीन संस्करण गठित करना ज़रूरी है जिसमे हम युवा

लोग सतत सक्रिय रह कर महाराजा अग्रसेन जी की पावन परम्परा को निर्वाहित करते हुए

समाज सेवा और खासकर आपने बुजुर्गों की सेवा में समर्पित रह कर उनके कार्यों को और

ज़्यादा गति दे सकें


इस प्रकार ' युवा मंच' की स्थापना हुई........क्योंकि बुजुर्गों ने तो बहुत काम किये हैं और आगे

भी करते रहेंगे , लेकिन समाजसेवा की सारी ज़िम्मेदारी क्या सिर्फ़ हमारे बुजुर्गों की है ? क्या

हमारा कोई दायित्व नहीं है कि हम उनके बनाये मार्ग पर चल कर अपना भी योगदान दें .

क्योंकि तो हमारे बुजुर्ग सदा से बुजुर्ग थे और ही हम सदैव युवा रहने वाले हैं, इसलिए

यह परम्परा चलती रहेगी तो भविष्य में आने वाली पीढियां भी प्रेरणा लेंगी . मुझे आशा

ही नहीं, पूर्ण विश्वास है की इस प्रयास में आप सभी का सहयोग आशीर्वाद निश्चित रूप से

प्राप्त होता रहेगा



प्यारे स्वजनों !

हमें गर्व है कि हम एक ऐसे महान समाज का हिस्सा हैं जिसकी परम्पराएँ बहुत ही समृद्ध,

सहिष्णु, परोपकारी और सर्व कल्याणकारी रही हैं - हमारे पूर्वजों ने अपने अनुकरणीय

जीवन चरित्र से सदैव हमें यह बताया है कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए अपने व्यापारिक

बुद्धि कौशल से अर्थोपार्जन करते हुए कैसे अपने घर-परिवार,समाज और देश के साथ साथ

समूची मानवता का कल्याण किया जाता है . हम उनके बताये मार्ग पर पहले भी चलते रहे

हैं और आगे भी चलते रहेंगे - परन्तु हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि समय सतत परिवर्तनशील है



दुनिया की कई बड़ी और महान नदियाँ केवल इसलिए सूख गईं क्योंकि उनमे सहायक नदियों

का आगमन नहीं हुआ - अर्थात परम्पराओं के स्थायित्व के लिए उसके उत्तराधिकारी होना

ज़रूरी है वरना परम्पराओं को लुप्त होने से कोई नहीं बचा सकता ........उदाहरण के लिए

साबरमती को ही देख लें - आमतौर पर सूखी ही रहने वाली इस नदी में जब नर्मदा का जल

मिला तो कैसे लहर लहर लहरा उठी इसमें......

ऐसे बहुत से प्रतीक हैं जिनका यहाँ

उल्लेख करना मैं आवश्यक नहीं समझता क्योंकि यहाँ सभी विद्वान लोग बैठे हैं और इस बात

को भली-भान्ति समझ सकते हैं


संक्षेप में कहूँ तो "युवा मंच" आज की ज़रूरत को देखते हुए गठित किया गया है ताकि हमारे

अभिभावकों ने धर्म और समाज सेवा की जो अमृतधारा बहा रखी है उसे हम लगातार जारी

रख सकें -----पूर्वजों ने तो अपना काम कर दिया अब हमें अपना काम करना है ताकि आने

वाली पीढियां हमसे वह प्रेरणा ले सके जो हमने अपने माता-पिता से ली है


सुपुत्र वो नहीं होता जो केवल अपने पिता की महानता पर गर्व करता रहे बल्कि वो होता है जो

उनके महान कार्यों को लगातार करता जाता है और परम्परा को कायम रखता है - अपनी भाषा,

अपना साहित्य, अपने उत्सव, अपने धार्मिक अनुष्ठान और अपने पहनावे को यदि हमें आगे

भी कायम रखना है तो ऐसे युवा मंच की ज़रूरत सदैव रहेगी जो नई पीढ़ी को साथ ले कर चले,

उसका विचार सुने और स्वतन्त्र रूप से काम कर सके - अन्यथा हमारे बुज़ुर्गों के साथ साथ

वह क्रियात्मकता भी चली जायेगी जिनके कारण हम और हमारा समाज महान कहलाते हैं



चूँकि बुज़ुर्गों के साथ काम करते हुए हम आम तौर पर संकोच और दबाव में रहते हैं इसलिए

एक स्वतन्त्र मंच की ज़रूरत थी, है और रहेगी, इसलिए इसका गठन किया गया है . बुज़ुर्गों

का विराट अनुभव और हमारी नवीन ऊर्जा , ये दो अलग अलग धुरियाँ हैं जिन पर समाज

का भविष्य टिका हुआ है . तो आइये.....जुट जाएँ हम सभी युवा लोग ..और करें कुछ ऐसे

काम कि हमारे बुज़ुर्गों को भी हम पर गर्व हो............हमें तो उन पर है ही........


जय अग्रसेन



Wednesday, October 27, 2010

अहमदाबाद में अग्रबंधु युवामंच का स्नेह-मिलन समारोह




आज के आधुनिक और तीव्रगामी युग में एक ओर जहाँ हम ये देख

कर दुखी और शर्मिंदा होते हैं कि नौजवान पीढ़ी अपने बुजुर्गों को

समुचित समय और सम्मान नहीं देती, बल्कि उनकी उपेक्षा करती

है वहीँ दूसरी ओर ऐसे लोगों को देख कर गर्व और हर्ष भी होता है जो

अपने बुजुर्गों को भगवान की तरह सम्मान देते हैं, उनकी सेवा करते

हैं और उनके बताये मार्ग पर चल कर लोक कल्याण के कार्य करते हैं



कल यानी 27 अक्टूबर की रात अहमदाबाद के एस जी राजमार्ग पर

स्थित ओनेस्ट बेंक्वेट हॉल में एक ऐसा ही सुन्दर नज़ारा देखने को

मिला जहाँ नवगठित अग्रबंधु युवामंच द्वारा ऑस्ट्रेलिया और

न्यूज़ीलैंड की 22 दिवसीय यात्रा से लौटे 32 सदस्यीय बुजुर्ग दल के

सम्मान में आयोजित स्नेह-मिलन समारोह में केवल अपने

अभिभावकों का स्वागत-सत्कार किया गया अपितु उन्हें ये भरोसा

भी दिलाया गया कि अग्रबंधुओं की नई पीढ़ी के युवा लोग अपने

पुरखों द्वारा चलाये जा रहे लोक कल्याण के कार्यों को निरन्तर जारी

रखते हुए अपनी भाषा, अपनी संस्कृति, अपने धार्मिक अनुष्ठान-

उत्सव और अपने पारम्परिक व्यवहारों को सदैव सुचारू रखेंगे



वरिष्ठ समाजसेवी श्री बाबूलाल रूंगटा के मुख्य आतिथ्य में

विश्वविख्यात भजन गायक श्री नंदू भैया, अग्रबंधु एसोसिएशन के

अध्यक्ष श्री जय किशन गुप्ता, उप अध्यक्ष श्री एच पी गुप्ता, महामंत्री

श्री बाबूलाल अग्रवाल सौजन्यकर्ता श्री माधवशरण अग्रवाल

समेत सैकड़ों गण-मान्य लोगों की उपस्थति में अग्रबंधु युवामंच

के संयोजक श्री राजकुमार भक्कड़ ने सभी मेहमानों का स्वागत

किया और युवामंच की स्थापना को समय की ज़रूरत बताते हुए

इसका परिचय दिया . अपने सारगर्भित भाषण में श्री भक्कड़ ने

कहा कि समाजसेवा की ज़िम्मेदारी केवल हमारे बुजुर्गों की ही नहीं

है, वे तो करते रहे हैं और करते रहेंगे परन्तु ये परम्परा सतत

गतिमान रहे इसके लिए नौजवान लोगों का एक स्वतन्त्र संगठन

होना ज़रूरी है सदैव सूखी रहने वाली साबरमती नदी जो आजकल

नर्मदा के जल से लबालब भरी दिखती है का उदाहरण देकर उन्होंने

कहा कि जिस नदी को सहायक नदियों का सम्बल नहीं मिलता वे

एक एक दिन सूख ही जाया करती हैं



गुजरात प्रदेश अग्रवाल समाज के अध्यक्ष श्री सुरेश अग्रवाल, परम

श्रद्धेय श्री नंदू भैया, श्री बाबूलाल रूंगटा और श्री जय किशन गुप्ता आदि

अनेक वक्ताओं ने श्री भक्कड़ की बात का पुरजोर समर्थन किया और

अपना आशीर्वाद देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि महाराजा अग्रसेन

से चली रही समाजसेवा की वह अमृतधार जिसे अब तक

अग्रबंधुओं ने प्रवाहित रखा है, आगे भी यों ही गतिमान रहेगी



समारोह में यात्रा से लौटे बुजुर्गों का अभिनन्दन किया गया तथा

एक स्लाइड शो के ज़रिये पूरी यात्रा के नज़ारे देखे दिखाए गये

इस मौके पर यात्रियों ने अपने तमाम मधुर अनुभव भी सुनाये

जिससे माहौल में लगातार रोचकता बनी रही


आशा है आपको ये रिपोर्ट पसन्द आयेगी कृपया अपनी प्रतिक्रिया

से अवगत कराएं

- पूजा आर. भक्कड़


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जय महाराजा अग्रसेन - जय अग्रोहा - जय जयहिन्द !




आप सभी हिन्दी ब्लोगर मित्रों, विद्वान पाठकों,

समीक्षकों और समाजहित में समर्पित जागरूक

देशवासियों को राजकुमार भक्कड़ का विनम्र प्रणाम


महाराजा अग्रसेन की महान और पावन परम्परा के

ध्वजवाहक के रूप में युवा अग्रबंधुओं द्वारा समाज सेवा

के विभिन्न कार्यों को निष्पादित करने हेतु एक नये

संगठन "अग्रबंधु युवामंच" की स्थापना की गई है

जिसके तमाम समाचार और कार्यक्रमों की जानकारी

देने के लिए इस ब्लॉग की शुरुआत की गई है


आशा है, आप सभी का स्नेह और सहयोग मिलता रहेगा ।



उद्यम हो व्यापार हो,

चाहे जप-तप-योग


सदा अग्रणी ही रहे,

अग्रवंश के लोग

____________राजकुमार भक्कड़



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