'निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन' -
निमित्त मात्र होना अर्थात दाहिना हाथ थक गया
तो बाएं हाथ से लड़ने की तैयारी रखना
- विनोबा भावे
प्रस्तुति : राजकुमार भक्कड़
विषय के समान कोई नशा नहीं है ।
यह मुनियों के मन को भी क्षण भर में मोही बना देता है
- रामायण
प्रस्तुति : राजकुमार भक्कड़
मनुष्य के जीवन में
वह सबसे बुरी घड़ी होती है
जब वह बिना परिश्रम किये धन कमाना चाहता है
- अज्ञात महापुरूष
प्रस्तुति : राजकुमार भक्कड़
देवउठणी ग्यारस की हार्दिक बधाइयां स्वीकार करें
वह सभा नहीं है जिसमे वृद्ध पुरूष न हों,
वे वृद्ध नहीं हैं जो धर्म की बात न करें,
वह धर्म नहीं है जिसमे सत्य नहीं
और न ही उसे सत्य कहा जा सकता है
जो छल से युक्त हो
- महाभारत
प्रस्तुति : राजकुमार भक्कड़